चितकारा यूनिवर्सिटी (पंजाब) में क्वालिटी एश्योरेंस इन हायर एजुकेशन “क्यू.ए.एच.ई- 2022” और नई शिक्षा नीति के प्रावधानों पर सेमिनार का आयोजन
चंडीगढ- सितंबर 3, 2022: (AVAJ APKI NEWS )
एक्रीडिटेशन एंड क्वालिटी एश्योरेंस सेल चितकारा यूनिवर्सिटी पंजाब ने क्वालिटी एश्योरेंस इन हायर एजुकेशन “क्यू.ए.एच.ई- 2022” पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया। इस दो दिवसीय सेमिनार में विशेषज्ञों द्वारा उच्च शिक्षा में क्वालिटी एश्योरेंस और नई शिक्षा नीति के प्रावधानों पर विशेष चर्चा की गई । सेमिनार का आयोजन नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रिडिटेशन काउंसिल (नैक) व टाटा टेली बिजनेस सर्विसेज के सहयोग के साथ किया गया था।
सेमिनार में जिन प्रख्यात वक्ताओं ने हिस्सा लिया उनमें डॉ.आर के गोयल, पंजाबी यूनिवर्सिटी , पटियाला, निदेशक-आईक्यूएसी, प्रो. (सेवानिवृत्त) एल.एन मित्तल, पूर्व में एनआईटीटीटीआर, चंडीगढ़ में प्रोफेसर, डॉ कवलजीत सिंह, निदेशक, यूनिवर्सिटी कंप्यूटर सेंटर पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला, डॉ. संधीर शर्मा, डीन, चितकारा बिजनेस स्कूल; और डॉ. वी. के. जादोन, डीन-अकादमिक, सी.यू.आई.ई.टी (एप्लाइड इंजीनियरिंग), चितकारा यूनिवर्सिटी शामिल थे।
इस अवसर पर “उच्च शिक्षा में गुणवत्ता आश्वासन” विषय पर शोधार्थियों और संकाय सदस्यों से प्राप्त हुए कुल 122 शोध पत्रों में से सर्वश्रेष्ठ 91 शोध पत्रों के साथ एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया और उनकी आगे की गुणवत्ता जांच के बाद, सर्वश्रेष्ठ पत्रों को स्कोपस डेटाबेस में प्रकाशन के लिए भेजा जाएगा।
चितकारा विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर डॉ मधु चितकारा ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि चितकारा में हम हमेशा इंडस्ट्री 5.0 की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आधुनिक शिक्षा प्रणाली में एनईपी के कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करते हैं। एजुकेशन में क्वालिटी के बारे में बहुमूल्य जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि सबसे प्रभावी कारक मानव पूंजी है, जो समाज में ज्ञान, कौशल, रचनात्मक व नैतिक गुणों के रूप में में व्यक्तियों में अभिव्यक्त होती है। रिसर्च व इनोवेशन के जरिए नीति निर्माताओं द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों को तेजी से नालेज प्रोडक्शन के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों को इकोनॉमिक इंजन के रूप में देखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के परिवर्तन का कारक के रूप में जाना जाता है क्योंकि क्योंकि परिवर्तन पुराने समय की तुलना में अब तेजी से हो रहे हैं।
चितकारा यूनिवर्सिटी हमेशा से बहु-विषयक अनुसंधान और परामर्श पर केंद्रित है और अब तक यूनिवर्सिटी ने 4000+ स्कोपस लेख प्रकाशित किए हैं, जिसमें 14000 से अधिक उद्धरण हैं। यूनिवर्सिटी ने अब तक 1800 पेटेंट फाइल किए हैं, जिनमें से 300 पेटेंट प्रकाशित हुए हैं और 150 इसे प्रदान किए गए हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. गोयल ने उच्च शिक्षा शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए एक्रिडिटेशन एजेंसियों की भूमिका पर चर्चा की उन्होंने बताया कि किस तरह से रैंकिंग क्वालिटी एजुकेशन व संस्थागत विकास योगदान कर रही हैं।
डॉ. एल.एन. मित्तल ने टीचिंग लर्निंग प्रक्रिया में सुधार लाने में शिक्षकों की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने वे तरीके सुझाए जिसे शिक्षक स्वयं में सुधार कर सकते हैं और प्रोत्साहित करके छात्रों को अपने करियर को सुधारने में अपना योगदान दे सकते हैं।
प्रो. जादोन ने आउटकम बेस्ड शिक्षा के महत्व पर चर्चा की और उन्होंने पीओ व सीओ अटेनमेंट पर भी प्रकाश डाला बताया कि किस तरह से आज की शिक्षा प्रणाली में इसका महत्व है।
डॉ. संधीर शर्मा ने पाठ्यक्रम-पहलुओं, टीचिंग लर्निंग मूल्यांकन, और शिक्षण योग्यता के बारे में बताया।
डॉ. शर्मा कक्षा के दौरान संवाद की भूमिका पर भी प्रकाश डाला डॉ. शर्मा ने पाठ्यक्रम, एक्रिडिटेशन व रैंकिंग के बीच में संबंधों पर भी जानकारी दी।
डॉ. कवलजीत सिंह ने एनईपी 2020 के संदर्भ में ऑनलाइन लर्निंग मोड में ई-सामग्री विकास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की ।
सेमिनार में सभी वक्ताओं का फोकस एजुकेशन सिस्टम में एक्रिडिटेशन एजेंसी की भूमिका पर रहा। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह से शिक्षा प्रणाली ने कोविड के दौरान खुद को एक ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली में परिवर्तित किया और इसके बाद में नतीजे क्या होंगे इस पर भी जानकारी दी गई। एनईपी भारतीय शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने में कैसे योगदान दे सकता है इस पर भी विस्तार से चर्चा की गई।