46वें चंडीगढ़ संगीत सम्मेलनः मल्लिक ब्रदर्स के गायन और विदुषी डाॅ कमला शंकर के क्लासिकल स्लाइड गिटार वादन ने श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
मल्लिक ब्रदर्स दरभंगा घराने के प्रतिष्ठित संगीत परिवार से ताल्लुक रखते हैं, जो 450 साल से भी ज्यादा पुरानी संगीत परंपरा है और वे इस संगीत वंश की 13वीं पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने कई संगीत गुरुओं को जन्म दिया है। ध्रुपद संगीत में उनका प्रशिक्षण उनके पिता प्रो. पंडित प्रेम कुमार मल्लिक, जो प्रसिद्ध ध्रुपद गायक थे, के संरक्षण में कम उम्र में ही शुरू हो गया था। बाद में उन्हें अपने दादा ध्रुपद के दिग्गज पंडित विदुर मल्लिक से ध्रुपद गायकी की बारीकियाँ सीखने का सौभाग्य भी मिला। मल्लिक ब्रदर्स वर्तमान में हमारे देश के सबसे ज्यादा मांग वाले ध्रुपद गायकों में से एक हैं। मल्लिक बंधु ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के ध्रुपद संगीत के “टॉप” ग्रेड कलाकार हैं और उन्होंने भारत और विदेशों में कई प्रतिष्ठित संगीत समारोहों में प्रदर्शन कर सम्मानित किया गया है।
वहीं दूसरी प्रसिद्ध इंडियन क्लासिकल स्लाइड गिटार वादिका विदुषी डाॅ कमला शंकर ने अपने वादन प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। विदूषी डॉ कमला शंकर ने अपने वादन की शुरुआत राग जोग से की, जिसमें उन्होंने आलाप, जोड़, झाला बजाकर विलंबित तीन ताल में निबद्ध तथा मध्य तीन ताल में निबद्ध दो प्रस्तुतियां श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत की। जिसके पश्चात झाला बजाकर श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने गायन का समापन राग मिश्र पीलू में एक धुन से किया।
विदुषी डॉ. कमला शंकर एक प्रसिद्ध प्रथम महिला भारतीय शास्त्रीय स्लाइड गिटार संगीतकार हैं, जिन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की अपनी मधुर प्रस्तुति से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया है। शंकर स्लाइड गिटार का आविष्कार करने का श्रेय उनको जाता है। वह अपने वाद्य पर जबरदस्त नियंत्रण और बहुमुखी प्रतिभा के साथ-साथ अपनी गहराई के लिए जानी जाती हैं। उनके पास गायक अंग शैली को बजाने की असाधारण और स्वाभाविक क्षमता है। गिटार की उनकी शुरुआती शिक्षा डॉ. शिवनाथ भट्टाचार्य से हुई और उन्हें वाराणसी के गुरु पद्मभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्रा से बहुमूल्य मार्गदर्शन मिला। उन्होंने न केवल शास्त्रीय बल्कि ठुमरी, कजरी, दादरा, चैती जैसे पूरब अंग भी सीखे हैं, साथ ही रवींद्र संगीत और भजन भी सीखा है।