फ़ायर सर्टिफिकेट की अवधि 3 वर्ष करने से प्राइवेट स्कूलों को अब मिलेगी राहत : कुलभूषण शर्मा
चंडीगढ़ .जुलाई 2,2022: (आवाज़ आपकी न्यूज )
प्राइवेट स्कूलों की फायर सेफ़्टी सर्टिफिकेट कि अवधि तीन साल करने पर निसा के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता का धन्यवाद किया है। आज यहां चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि हर साल फायर सर्टिफिकेट रिन्यू करवाने पर प्राइवेट स्कूलों को आर्थिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता था। तीन वर्ष की अवधि किए जाने से प्राइवेट स्कूल अब राहत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने यह मांग कुछ माह पूर्व तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज के समक्ष रखी थी और सर्टिफिकेट की अवधि बढ़ाने का निवेदन किया था।
उन्होंने कहा सरकार को अब प्राइवेट स्कूलों की अन्य लम्बित मांगों को भी पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान दो वर्षों तक प्राइवेट स्कूलों की बसें स्कूलों में खड़ी रहीं, परंतु उनकी लाइफ एनसीआर में 10 वर्ष और दूसरे जिलो में 15 वर्ष यथावत है जो तर्क संगत नही है, इसलिए सरकार को राहत देते हुए स्कूल बसों की लाइफ में दो वर्षों की बढ़ोतरी करनी चाहिए ताकि कोरोना के कारण आर्थिक बदहाली से गुजरे स्कूलों को राहत मिल सके I
उन्होंने सरकार से यह भी मांग की कि सरकार प्राइवेट स्कूलों द्वारा 134-ए के तहत पढ़ाए गए बच्चों की बकाया राशि, जो 1000 करोड़ के करीब है, उसका तुरंत भुगतान करे, ताकि प्राइवेट स्कूल नई शिक्षा नीति को कामयाब करने में बिना किसी रुकावट के सहयोग कर सकें। उन्होंने यह भी मांग रखी कि मुख्यमंत्री शिक्षा अधिकारियों को प्राइवेट स्कूलों के साथ बैठक करने का निर्देश दें ताकि प्राइवेट स्कूलों के सभी लम्बित मामलों का समाधान हो सके और प्रदेश में शिक्षा का बेरोकटोक चहुंमुखी विकास हो सके I
उन्होंने सरकार की प्राइवेट स्कूलों को मान्यता देने वाली प्रणाली पर सवाल उठाते हुए इसे विसंगतिपूर्ण करार दिया और कहा कि जो विद्यालय हाई स्कूल या सीनियर सेकेंडरी कक्षा की मान्यता चाहता है, उसे दोहरी मान्यता पहले आठवीं कक्षा, फिर हाई स्कूल या सीनियर सेकेंडरी की मान्यता लेनी पड़ती है जो सरासर गलत है।
इससे लालफीताशाही को बढ़ावा मिलता है इसका सरलीकरण होना चाहिए और दोहरी मान्यता पद्धति समाप्त हुई चाहिए और हाई स्कूल, सीनियर सेकेंडरी स्कूलों को उनके स्तर तक सीधा मान्यता प्रदान की जानी चाहिए।